श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में स्वतंत्रता दिवस पर विशेष प्रवचन देते हुए आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने कहा कि हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिले बहुत वर्ष बीत गये जो बहुत से महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष से प्राप्त हुई थी।
वो देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों के वास्तविक अनुसरणकर्त्ता थे जिन्होंने लाखों लोगों के साथ अपना अमूल्य जीवन गवाकर स्वतंत्रता के सपने को हकीकत बनाया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, अमीर लोग और राजनेता केवल अपने खुद के विकास में लग गये न कि देश के विकास में। ये सत्य हैं कि हम ब्रिटिश शासन से आजाद हो गये हैं हांलाकि, लालच, अपराध, भ्रष्टाचार, गैर-जिम्मेदारी, सामाजिक मुद्दों, सामूहिक दुष्कर्म और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों से आज-तक आजाद नहीं हुए।
वास्तविकता में सभी गैर-कानूनी गतिविधियों से मुक्त होने के लिये इन सभी का प्रत्येक भारतीय नागरिकों के द्वारा कड़ाई से अनुसरण किया जाना चाहिये। उन्होंने आगे कहा कि वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर होने के लिये अपने देश के लिये अपने कर्त्तव्यों का व्यक्तिगत रुप से पालन करें।
ये देश के विकास के लिये बहुत आवश्यक हैं जो तभी संभव हो सकता है जब देश में अनुशासित, समय के पाबंद, कर्तव्यपरायण और ईमानदार नागरिक हो। देश के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने व याद दिलाने के लिए कोई विशेष समय नहीं होता, हालांकि ये प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार हैं कि वह देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे। आवश्यकतानुसार उनका निर्वाह या निष्पादन अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करें। क्योकीं हमारे देश जैसा देश पूरे जहां में नहीं है।
जो नैतिक या सांस्कृतिक मूल्य हमारे देश में है उसका सम्मान पूरा विश्व करता है। यह वह देश है जहां आज भी एक बेटा अपनी पूरी ज़िंदगी अपने मां-बाप के साथ खुशी-खुशी व्यतीत करता है। यह वह देश है जहां आज भी उम्र में छोटे अपने बड़ों का पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। रिश्तों में इतनी मिठास और अपनापन हमें कहीं और नहीं मिलेगा। कम से कम हमारे देश में अपने बच्चों से मां-बाप मकान का किराया तो नहीं लेते। जैसा की कुछ विकसित देशों में होता है।