सामना करने वालों के कदमों में जहां होता है : देवेंद्रसागरसूरि

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हौसलें अगर बुलंद हों तो मंजिलें आसान हो जाती हैं। कुछ कर गुजरने का जज्बा अगर हममें हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता।उपरोक्त बातें आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने  श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में धर्म प्रवचन देते हुए कही, उन्होंने आगे कहा कि  हमारी ज़िंदगी का हर पल इम्तिहानों से भरा होता है।

कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना होता है और मुश्किलों से भाग जाना तो आसान होता है, साथ ही सामना करने वालों के कदमों में जहां होता है। किसी ने खूब कहा है तारों में अकेला चांद जगमगाता है, मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है, हमें कांटों से घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि कांटों में ही गुलाब मुस्कुराता है। हममें से बहुत से लोग जब नए सपने, नई सोच, रखने की कोशिश करते हैं तो बहुत से सवाल हमारे दिमाग में आते हैं।

क्या, क्यों, नहीं होगा, लोग क्या कहेंगे आदि-आदि। इन सभी सवालों के जवाब भी हमें खुद ढूँढने हैं। कुछ नया करने के लिए बड़ी सोच का होना जरूरी है। हमें अपनी उस सीमा रेखा से बाहर निकलना है, जिसे हमने एक छोटी सोच के कारण अपने चारों तरफ खींच लिया है और हम उसी दायरे में अपनी पुरी ज़िंदगी काट लेते हैं।

हम जोखिम लेना नहीं चाहते। कुछ कर गुजरने के लिए ज़िंदगी में जोखिम लेना पड़ता है।  दूसरों की सफलता पर खुश होने के साथ हमें अपनी छोटी सोच के दायरे को तोड़ना है और अपनी सफलता के लिए भी तालियां बजानी हैं। बड़ी सोच रखने के बहुत फायदे हैं। इंसान का दिमाग सोच के हिसाब से ही मुश्किलों का समाधान भी बताता है। उदाहरणतया अगर हमें नदी पार करनी है तो हम नाव का प्रयोग करेंगे और अगर हमें समुद्र पर करना है तो हमें समुद्री जहाज की सवारी करेंगे।

बड़ी सोच रखने की वजह से हम अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच जाते हैं। मान लीजिए मुझे विश्व का बहुत बड़ा वैज्ञानिक बनना है तो अगर मैं विश्व का बड़ा वैज्ञानिक न बन पाया तो कम से कम अपने देश का या प्रदेश का एक बड़ा वैज्ञानिक तो बन ही पाऊंगा लेकिन यह सब संभव होगा एक बड़ी सोच रखने से। अगर मैं ये सोच के साथ चलूं कि मुझे एक छोटा मोटा इंजीनियर बनना है तो शायद में कुछ भी न बन पाऊं।

कुछ नया और अलग करने की होड़ में अगर हम आगे निकल जाते हैं तो हम अपना तो भला करेंगे ही, साथ देश व प्रदेश की जनता का भी भला करेंगे। मान लीजिए अगर हम बड़े डॉक्टर बन गए तो लाखों लोगों की ज़िंदगी बचाएंगे। हमें हमेशा यह याद रखना है कि हर बड़े कार्य की शुरुआत छोटे से ही होती है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए पीजे अब्दुल कलाम बचपन में रोज सुबह अखबार बांटने का काम करते थे और बाद में दुनिया के बड़े वैज्ञानिक बने।

ऐसा नहीं कि इन लोगों को कभी डर नहीं लगा होगा या कभी हतोत्साहित नहीं हुए होंगे। इनको भी डर लगा होगा, इनको भी मंजिल मुश्किल लगी होती, इसलिए ये ज़िंदगी आपकी, सोच आपकी है। ज़िंदगी दोबारा मौका नहीं देती, आपके अंदर पुरी क्षमता है, आप खुद को बदल सकते हैं। एक नई और बड़ी सोच के मालिक बन सकते हैं।

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