विश्व के शाश्वत जैन महातीर्थ शत्रुंजय (पालीताणा) के तीर्थाधिपति प्रथम तीर्थंकर परमात्मा श्री आदिनाथ जी की छत्रछाया में खरतरगच्छाचार्य छत्तीसगढ़ श्रृंगार श्रीजिन पीयूषसागर सूरीश्वर जी महाराज साहब सहित अनेक साधु साध्वी भगवंतो की पुनीत पावन निश्रा में प्रारंभ हुए ऐतिहासिक चातुर्मास की विशालता भव्य प्रवेश से ही परिलक्षित हो रही है।
प्रतिदिन हजारों की संख्या में तपस्वियों के तपस्या का शंखनाद हो चुका है। तीर्थ नगरी पालीताणा की ऐतिहासिक, भव्य मंगलमय वातावरण में स्थानीय “”सुणतर भवन “” में विशालकाय पंडाल व्यवस्था के बीच अतिसुंदर पारणे की व्यवस्था ने अतिथियों का मन मोह लिया है। पंक्तिबद्ध कुर्सी टेबल पर,पाटे पर बिठाकर एकासना,बयासना, उपवास अन्य तपस्या के पारणे ने तपस्वियों उत्साह दोगुना कर दिया है। रंग-बिरंगे कपड़े में सेवा भावी कर्मी अपनी सेवा से सभी जन-मानस को आकर्षित कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ श्रृंगार खरतरगच्छ आचार्य श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वर जी महाराज साहब सहित शताधिक साधु साध्वी भगवंतो, चतुर्विध संघ के साथ शत्रुंजय महातीर्थ में 700 से अधिक आराधकों का सामूहिक चार्तुमास, 1500 आराधकों की पर्वाधिराज परयूषण महापर्व आराधना , 1000 आराधकों की नववाणु यात्रा, खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी महोत्सव,छ:रि पालित संघ, 1500 यात्री छत्तीसगढ़ जिनेश्वर यात्रा स्पेशल ट्रेन संघ, सामूहिक दीक्षा आदि विभिन्न आयोजन सम्पन्न होंगे।
पालीताणा तीर्थ में इतिहास का नया अध्याय लिखने वाले इस चातुर्मास में अपनी तन -मन -धन से अनेकों सेवा भावी की भावनाओं का सुंदर उदाहरण देखने को मिलता है !