चेन्नई. श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए पूज्य आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने कहा कि सत्य का मार्ग मोक्ष की ओर ले जाता है। सत्य कड़वा अवश्य होता है, सत्य बोलने वालों को कष्ट भोगने पड़ते हैं लेकिन एक दिन वह व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को पीछे छोड़कर काफी आगे निकल जाता है।
सत्य का मार्ग जीवन जीने का आधार है। उन्होंने कहा कि जब जीवन की एक सांस का भरोसा नहीं है तब भी मनुष्य छल, कपट कर लोगों के दिलों को दुखाकर हवेली बनवा रहे हैं। भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए सत्य सुख शान्ति का मर्म भी नहीं समझ रहे, जीवन के अंत का भी अहसास नहीं कर रहे हो, सच्चा सुख तो केवल परमात्मा की शरण है।
जिस प्रकार इस नश्वर शरीर में रोग लग जाने के उपरांत चिकित्सक से परामर्श लेना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार जीवन को रोग से बचाने के लिए ईश्वर का चिंतन आवश्यक है। सत्य के संग में आने का धर्म हर मानव का धर्म-कर्म बनता है। इतने विशाल सत्य के संग के आप स्वयं व्यवस्थापक हैं। आप पर किसी को तैनात नहीं किया जा सकता।
सत्य को कोई भी नहीं खरीद सकता। लेकिन जिसने सत्य के मार्ग पर चलने का प्रयास किया तो सत्य ने उसका कल्याण अवश्य किया है। जिसने पृथ्वी पर जन्म लिया है उसे एक न एक दिन अवश्य जाना है इसीलिए मानव सेवा को सबसे बड़ी सेवा मानकर कर्म करो, तभी कल्याण संभव है। वर्तमान समय में जहां चहुं तरफ असत्य का बोलबाला है।
हिंसा, अराजकता, अनाचार, अत्याचार आदि कृत्य के साए में मानव जी रहा है। ऐसे समय में सत्य के मार्ग पर चलने वाले तथ्य सच्चाई की बात कर लोगों को सत्य से न डिगने की बात करने वाले व्यक्ति का आज के समय में मजाक उड़ाया जाता है। ऐसा वह लोग करते हैं जो कि सत्य का सामना नहीं कर पाते।
अंत में आचार्य श्री ने कहा कि एक बार समय से तो समझौता किया जा सकता है, लेकिन सत्य से समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि समय व्यक्ति को मिला एक ऐसा कोश है जिसका समाप्त होना तो निश्चित है लेकिन यदि उसके सही मूल्य को समझकर उसे सही जगह निवेश किया जाए तो आपके जीवन में मिला यह थोड़ा सा ही समय उस पूरे युग को मूल्यवान बना देता है। जबकि सत्य ऐसा मूल्य है जो पूरी मानव जाति को वास्तविक मानवतावादी मान बनाती है।